रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत: स्वदेशी सैन्य शक्ति की ओर बढ़ता राष्ट्र
🇮🇳 रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत: स्वदेशी सैन्य शक्ति की ओर बढ़ता राष्ट्र
🔰 प्रस्तावना: आत्मनिर्भर रक्षा निर्माण ही सच्ची स्वतंत्रता का प्रतीक है
"जो राष्ट्र अपनी तलवार दूसरों के कंधे पर रखता है, वह अपनी रक्षा नहीं कर सकता।"
आज भारत इस सच्चाई को आत्मसात कर चुका है और बीते एक दशक में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ऐतिहासिक यात्रा शुरू की है। भारत अब केवल रक्षा उपकरण आयात करने वाला देश नहीं, बल्कि उन्हें डिजाइन, विकसित और निर्यात करने वाला राष्ट्र बन रहा है।
🛡️ थलसेना में स्वदेशीकरण: रणभूमि पर भारत का आत्मबल
भारतीय थलसेना के लिए अब विदेशी हथियारों पर निर्भरता तेजी से घट रही है। यहां कुछ प्रमुख स्वदेशी प्रणालियाँ हैं:
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अर्जुन Mk-1A टैंक: उन्नत फायर कंट्रोल सिस्टम, 120 मिमी गन, नाइट फायरिंग जैसी क्षमताओं से युक्त।
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धनुष तोप: बोफोर्स आधारित भारत में बनी 155 मिमी की तोप, अधिक रेंज और सटीकता।
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पिनाका रॉकेट लांचर: 75 किमी तक मारक क्षमता, रियल टाइम कमांड सिस्टम।
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नाग मिसाइल: अत्याधुनिक "फायर एंड फॉरगेट" टैंक रोधी मिसाइल।
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अकाश मिसाइल: सतह से हवा में मार करने वाली स्वदेशी मिसाइल, 25 किमी की रेंज।
✅ थलसेना के 75% से अधिक हथियार अब भारत में ही बन रहे हैं।
✈️ वायुसेना का स्वदेशी उत्थान: आसमान में लहराता आत्मगौरव
भारत की वायुसेना अब ‘मेड इन इंडिया’ तकनीक के बलबूते दुश्मन को मात देने को तैयार है:
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तेजस LCA: सुपरसोनिक, मल्टीरोल, हल्का लड़ाकू विमान, पूरी तरह स्वदेशी।
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अस्त्र मिसाइल: हवा से हवा में मार करने वाली BVR मिसाइल।
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DRDO Netra AEW&C: एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग सिस्टम — दुश्मन पर आसमान से नजर।
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CATS Warrior: AI आधारित लॉयल विंगमैन ड्रोन सिस्टम।
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Tapas-BH (Rustom-II): लंबी दूरी का UAV, निगरानी और हमला दोनों के लिए उपयुक्त।
✅ भारत अब अपने विमान, ड्रोन और मिसाइल न केवल बना रहा है, बल्कि निर्यात भी कर रहा है।
⚓ नौसेना की स्वदेशी क्रांति: महासागरों में भारत की लहर
भारतीय नौसेना अब आत्मनिर्भरता की मिसाल बन चुकी है:
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INS विक्रांत: भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत — 76% स्वदेशी कंपोनेंट्स के साथ।
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INS अरिहंत: परमाणु शक्ति से चालित भारत की पहली स्वदेशी पनडुब्बी।
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INS विशाखापत्तनम: ब्रह्मोस युक्त स्टेल्थ डेस्ट्रॉयर।
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Kalvari क्लास पनडुब्बियाँ: स्कॉर्पीन श्रेणी की उन्नत पनडुब्बियाँ, भारत में ही निर्माण।
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Varunastra टॉरपीडो: स्वदेशी हैवीवेट टॉरपीडो, अत्याधुनिक नौसैनिक हथियार।
✅ भारत की 40 से अधिक नौसेना इकाइयाँ अब देश में ही बन रही हैं।
🚀 सामरिक व मिसाइल क्षमता: विश्वस्तरीय मारक शक्ति
भारत की मिसाइल प्रणाली अब पूर्णत: स्वदेशी दिशा में अग्रसर है:
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अग्नि सीरीज़: ICBM श्रेणी की मिसाइलें, 700 से 5000+ किमी तक मारक क्षमता।
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पृथ्वी मिसाइल: परमाणु-सक्षम शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल।
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ब्रह्मोस मिसाइल: सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल, अब लगभग पूर्णतया स्वदेशीकृत।
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शौर्य / K-15 मिसाइल: सबमरीन लॉन्च, हाइपरसोनिक क्षमता से लैस।
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अस्त्र, QRSAM, VLSRSAM: वायु रक्षा के लिए उन्नत स्वदेशी मिसाइलें।
✅ भारत अब हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक पर भी कार्य कर रहा है।
🌐 साइबर, AI और नवाचार आधारित रक्षा
नई पीढ़ी की रक्षा रणनीति में भारत ने डिजिटल और AI तकनीकों को तेजी से अपनाया है:
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iDEX: रक्षा नवाचार के लिए स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने की सरकारी पहल।
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AI Command Systems: DRDO व BEL द्वारा विकसित निर्णय समर्थन प्रणाली।
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शक्ति EW सिस्टम: इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर के लिए स्वदेशी तकनीक।
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समुद्रिका: नौसेना के लिए साइबर सुरक्षा तंत्र।
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Make II/III Projects: MSMEs और निजी कंपनियों द्वारा विकसित स्वदेशी तकनीकें।
✅ 300 से अधिक भारतीय स्टार्टअप्स अब रक्षा क्षेत्र में सक्रिय भागीदारी कर रहे हैं।
📈 भारत की वैश्विक रक्षा स्थिति: निर्यातक की भूमिका में भारत
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रक्षा निर्यात 2015 में ₹1,500 करोड़ था, जो 2024 में बढ़कर ₹21,000 करोड़ हो गया।
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भारत अब 80 से अधिक देशों को रक्षा उत्पाद निर्यात करता है।
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"निगरानी ड्रोन से लेकर मिसाइल सिस्टम तक" — भारत अब एक विश्वसनीय निर्यातक बन चुका है।
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सरकार की Positive Indigenisation List में 500+ प्रणालियाँ अब भारत में बन रही हैं।
🏁 निष्कर्ष: आत्मनिर्भर भारत से वैश्विक सैन्य शक्ति की ओर
भारत की रक्षा तैयारी अब केवल आत्मनिर्भरता का संकल्प नहीं, बल्कि वैश्विक रक्षा नेतृत्व की ओर एक मजबूत कदम है।
तेजस, ब्रह्मोस, INS विक्रांत, पिनाका, और iDEX जैसी पहलों ने यह सिद्ध किया है कि भारत न केवल अपनी सुरक्षा कर सकता है, बल्कि दुनिया की सुरक्षा में योगदान भी दे सकता है।
💡 भविष्य में भारत केवल आत्मनिर्भर नहीं रहेगा, बल्कि विश्व का एक प्रमुख रक्षा उत्पाद निर्यातक राष्ट्र बनेगा।
🇮🇳 जय हिंद। भारत माता की जय।
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