बूंदी की विश्व प्रसिद्ध 84 खम्बों की छतरी



देवा राव राजा अनिरुद्ध सिंह की धाय मां का पुत्र होने के कारण वह उन्हें बेहद प्रिय था. देवा का अल्प आयु में निधन हो जाने से अत्यंत दुखी हुये राव राजा अनिरुद्ध सिंह ने उसकी याद को चिरस्थाई बनााने रखने के लिए 84 खम्भों की छतरी का निर्माण करवा कर उन्हें समर्पित किया था.

कुंए-बावड़ियों के शहर के नाम से विख्यात और गली गली में मंदिर वाली छोटी काशी बूंदी में स्थित प्रमुख स्मारको में से एक विश्व प्रसिद्ध 84 खम्भों की छतरी है.

यह एक तरह के बूंदी का प्रतीक चिन्ह बन चुकी है. स्थापत्य कला की शानदार प्रतीक यह दो मंजिला छतरी 84 खम्भों पर टिकी होने के कारण ही इसे चौरासी खम्भों की छतरी के नाम से पुकारा जाता है.




क्या भारत हिन्दू राष्ट्र है?

चबूतरेनुमा ऊंची चौकी पर बनी दो मंजिला इस उत्कृष्ट छतरी के चारों ओर जंघा भाग पर पाषाण पट्ट लगे हैं. इन पर उकरे गये हाथी घोड़े और अन्य पशुओं की विभिन्न आकृतियों के पैनल के साथ साथ उच्च तीक्ष्ण विधि से शिव पार्वती, राधा कृष्ण, विष्णु वराह अवतार, नाभी से ब्रह्मा की उत्पत्ति, ढोला-मारू, गजलक्ष्मी और समुंद्र मंथन जैसे पौराणिक विषयों के मनमोहक आकर्षक ढंग से उकेरे गये चित्र बरबस ही आने वाले लोगों का ध्यान अपनी और खींचते हैं.




वहीं छतरी के अंदर की छत पर अप्सराओं व संगीतज्ञ तथा उसके साथ साथ चारों ओर हाथियों की लड़ाई, बांसुरी व वीणा बजाती सज्जित सुंदरियां, मुग्ध हिरण और श्रृंगार करती रमणीक नायिकाओं के मनमोहक भित्ति चित्र अंकित हैं. ये चित्र हर किसी के दिल पर गहरी छाप छोड़ देते हैं.



इसी तरह छतरी के चारों और मेहराबों में हाथियों की विभिन्न मुद्राओं के चित्र भी अति मनोहारी हैं. इनसे नजरें हटाने को मन नहीं करता. वहीं छतरी के मध्य वृहदाकार शिवलिंग भी स्थित है.

किसने कहा मैं अपने लिए नहीं अपनों के लिए हूँ?



बूंदी के राव राजा अनिरुद्ध सिंह द्वारा बनवाई गई यह विश्व प्रसिद् 84 खम्भों की छतरी रियासत के समाप्त हो जाने के बाद पर्यटन विभाग के अधीन आ गई. लेकिन छतरी की सार संभाल के अभाव में यह छतरी असामाजिक तत्वों और स्मेकचियों का अड्डा बन गई थी.



स्थापत्य कला के नायाब नमूने विश्व प्रसिद्ध चौरासी खम्भों की इस छतरी को 10 वर्ष पूर्व पुरातत्व विभाग ने सहारा दिया. उसके बाद पुरातत्व विभाग ने छतरी के क्षतिग्रस्त भित्ति चित्रों की मरम्मत करवाकर इस अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया. अब छतरी को देखने के लिये शुल्क निर्धारित कर दिये जाने से यहां से असामाजिक तत्वों और स्मेकचियों के प्रवेश पर रोक लग गई है.

जानिए कौन है स्वदेश प्रेमी खरबपति जो महंगी गाड़ी में नहीं साइकिल पर चलता है?

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार: इतिहास की गलतियों से सबक लेने का समय"

सिंध और बंगाल के लिए स्वायत्त हिंदू अल्पसंख्यक परिक्षेत्र की आवश्यकता

बांग्लादेश में तख्ता पलट का षड्यंत्र: अंतर्राष्ट्रीय राजनीति का एक नमूना