संकीर्ण मानसिकता और अवसरवादी राजनीति!



   हाथरस प्रकरण में जहाँ पीड़ित परिवार को बार-बार दलित बोलकर, जातीय भावनाओं को उभारने का प्रयास किया जा रहा है, उसकी सबको निंदा करनी चाहिए !

   कांग्रेस अपना खोया जनाधार पाने के लिए दलित- मुस्लिम अपवित्र गठजोड़ को साकार करने का प्रयास कर रही है। जिसके लिए वह किसी भी स्तर तक गिर सकती है!

यह इस देश का दुर्भाग्य है कि अपराध को उसकी निकृष्टता से नहीं बल्कि अपराधी व पीड़ित की जाति, उसके धर्म और उसकी हैसियत के चश्मे से देखा जा रहा है! हाथरस में जो विभत्स घटना हुई उसकी भर्त्सना प्रत्येक भारतीय को करनी चाहिए।


प्रदेश सरकार पर उसे न्याय दिलाने का दबाव भी पड़ना चाहिए। लेकिन ठीक इसी तरह की घटना जब बलरामपुर में घटती है, और पीड़ित वर्ग उसी जाति से है जिस जाति के लिए भीम-आर्मी और मृतप्राय: कांग्रेस नकली टेंसुए बहाती है। उसके लिए मौन रहना संशय प्रद है।क्या इसका कारण वहां  आरोपी मुस्लिम होने के कारण भीम-आर्मी और कांग्रेस एक शब्द भी बोल नहीं पाती? क्योंकि इससे उनको मिलने वाला 6प्रतिशत वोट बैंक भी खिसकता नजर आता है? 

घटना की गंभीरता को नजरअंदाज कर कांग्रेस यहां चुप्पी साध लेती है!कांग्रेस की पीड़िता के प्रति थोड़ी बहुत भी चिंता होती तो उत्तर प्रदेश विधानसभा  उपचुनाव में देवरिया सदर सीट से मुकुंद मणि भास्कर (जिस पर बलात्कार जैसे घिनौने आरोप है) को टिकट नहीं देती। 

इतना ही नहीं भास्कर को टिकट दिए जाने का कांग्रेस की ही महिला नेता तारा यादव द्वारा विरोध करने पर कांग्रेसी नेताओं द्वारा उसके साथ मारपीट भी की जाती है। हाथरस केस की पीड़िता के लिए न्याय की नौटंकी करने वाले राहुल एवं वाड्राईन एक बलात्कारी को पार्टी का टिकट देकर हाथरस मामले में अन्तर्मन से न्याय चाहते हैं इसमें संदेह है! 

-गंगा सिंह राजपुरोहित

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