आत्मनिर्भर भारत: स्वदेशी संकल्प और वैश्विक चुनौतियों का जवाब
आत्मनिर्भर भारत: स्वदेशी संकल्प और वैश्विक चुनौतियों का जवाब "देश उठेगा अपने पैरों निज गौरव के भान से। स्नेह भरा विश्वास जगाकर जीयें सुख सम्मान से।।" — नंदलाल 'बाबा जी' भारत आज जिस मोड़ पर खड़ा है, वहाँ चुनौतियाँ भी हैं और अवसर भी। ट्रंप प्रशासन के 60% आयात शुल्क और H1B1 वीज़ा प्रतिबंधों जैसी वैश्विक परिस्थितियों ने भारत को झकझोरा, लेकिन यह झटका भारत के लिए आत्मविश्वास की नई यात्रा की शुरुआत बना। ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान और इसके सहायक मिशन—मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया और उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (PLI)—ने इन चुनौतियों को अवसर में बदल दिया। यह कहानी केवल योजनाओं और आंकड़ों की नहीं, बल्कि उस स्वदेशी गौरव की है, जो हमें अपने पैरों पर खड़ा होना और आत्मसम्मान के साथ आगे बढ़ना सिखाती है। स्वदेशी गौरव की नींव बाबा जी के इसी गीत की पंक्ति कितनी सत्य है। “परावलम्बी देश जगत में, कभी न यश पा सकता है” यह आत्मनिर्भर भारत का सार है। 2020 में कोविड संकट के बीच इस अभियान की शुरुआत हुई और इसका लक्ष्य आर्थिक, तकनीकी और स...