संगम के जल पर भ्रम और वैज्ञानिक सच्चाई
संगम के जल पर भ्रम और वैज्ञानिक सच्चाई
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा संगम के जल की गुणवत्ता पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) को सौंपी गई रिपोर्ट को आधार बनाकर कुछ संस्थानों और विपक्ष ने जनता में भ्रम फैलाने का प्रयास किया। उत्तर प्रदेश सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की गई, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में स्पष्ट रूप से कहा कि संगम का जल आचमन करने योग्य है। उन्होंने यह भी बताया कि अब तक 57 करोड़ श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा चुके हैं और किसी ने भी जलजनित बीमारियों से ग्रस्त होने की शिकायत नहीं की है।
वैज्ञानिक प्रमाण और जल की शुद्धता
भारत के शीर्ष वैज्ञानिक और दिवंगत मिसाइलमैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के सहयोगी वैज्ञानिक डॉ. अजय कुमार सोनकर ने भ्रम फैलाने वालों को चुनौती दी है कि कोई भी विशेषज्ञ आकर हमारे सामने प्रयोगशाला में संगम जल की जांच करवा सकता है। उनके अनुसार, संगम का जल अल्कलाइन जल की तरह शुद्ध पाया गया है। उन्होंने स्वयं संगम नोज, अरैल सहित विभिन्न घाटों से जल के नमूने एकत्र कर सूक्ष्म परीक्षण किया और निष्कर्ष निकाला कि:
जल में बैक्टीरियल ग्रोथ नहीं पाई गई।
जल का pH स्तर संतुलित है और इसमें कोई गिरावट दर्ज नहीं की गई।
महाकुंभ और जल की प्राकृतिक शुद्धता
डॉ. सोनकर का कहना है कि महाकुंभ के प्रारंभ से पहले से ही यह दुष्प्रचार किया जा रहा था कि गंगा जल पूरी तरह से प्रदूषित है और इसमें स्नान करने से लोग जलजनित बीमारियों का शिकार होंगे। लेकिन वास्तविकता यह है कि यदि गंगा जल वास्तव में प्रदूषित होता, तो अब तक अस्पतालों में पैर रखने की जगह नहीं होती और पूरी दुनिया में हाहाकार मच गया होता।
महाकुंभ में अब तक 57 करोड़ श्रद्धालुओं के स्नान के बावजूद गंगाजल अपनी प्राकृतिक शक्ति से रोगमुक्त बना हुआ है। यह माँ गंगा की अद्भुत आत्मशुद्धि शक्ति का प्रमाण है कि इतने विशाल जनसमूह के स्नान के बावजूद किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ।
भ्रम फैलाने वालों से सवाल
जनमानस को भ्रमित करने वालों से यह पूछा जाना चाहिए कि यदि गंगा जल दूषित है, तो क्या सभी श्रद्धालु अंधविश्वास के शिकार हैं? क्या उनमें से कोई भी जलजनित बीमारी से ग्रस्त नहीं हुआ? कुछ लोग तो केवल कुंभ की कमियाँ निकालने के लिए ही वहाँ गए थे—फिर उन्होंने कोई प्रमाण क्यों नहीं प्रस्तुत किया?
महाकुंभ से दुर्भावना रखने वालों को चाहिए कि वे झूठा ही सही, लेकिन कोई प्रमाण पत्र तो पेश करें कि गंगा जल के कारण जलजनित बीमारियाँ फैली हैं। जब तक ऐसा कोई प्रमाण सामने नहीं आता, तब तक यह स्पष्ट है कि संगम का जल शुद्ध और सुरक्षित है।
गंगा जल को लेकर किए जा रहे दुष्प्रचार का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। डॉ. अजय कुमार सोनकर जैसे वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में जल की गुणवत्ता की पुष्टि की है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि संगम का जल शुद्ध है और इसे लेकर फैलाया जा रहा भ्रम मात्र एक राजनीतिक एजेंडा है। श्रद्धालुओं की आस्था और वैज्ञानिक प्रमाणों को नजरअंदाज करना दुर्भावनापूर्ण मानसिकता को दर्शाता है।
आधुनिक विज्ञान से अनन्त गुणा अधिक सनातन धर्म का प्रमाण मान्य है हम सनातनी हिन्दूओं को
जवाब देंहटाएंआधुनिक विज्ञान को मैं सनातन का पड़पोता मानता हूं
जवाब देंहटाएंभगवान शिव ने जिसको स्वयं प्रकट किया हो वह पवित्र जल कभी अशुद्ध नहीं हो सकता वह अमृत तुल्य था, है और रहेगा ।
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