संघ शिक्षा वर्ग व्यक्तित्व निर्माण का सतत प्रयास

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का “संघ शिक्षा वर्ग” न केवल संगठनात्मक प्रशिक्षण का माध्यम है, बल्कि यह राष्ट्रभक्ति, सामाजिक समरसता और नेतृत्व निर्माण की प्रयोगशाला भी है। इसकी शुरुआत 1927 में नागपुर से हुई थी, जिसे बाद में ‘अधिकारी शिक्षा वर्ग’ और फिर 1950 से ‘संघ शिक्षा वर्ग’ के रूप में जाना गया।
📜 इतिहास की नींव:
डॉ. हेडगेवार ने 1927 में संघ शिक्षा वर्ग की शुरुआत ग्रीष्मकालीन वर्गों के रूप में की थी। आरंभ में नागपुर के लोकांचीशाला, धनवटे नगर विद्यालय और न्यू इंग्लिश स्कूल जैसी स्थानों पर वर्ग का आयोजन हुआ। भोजन स्थानीय घरों से आता था। वर्गों के लिए शुल्क भी लिया जाता था जिससे चिकित्सा, बिजली, जल जैसी व्यवस्थाएँ सुचारु रूप से चल सकें। अन्ना सोहनी और मार्तंडराव जोग जैसे सहयोगियों की मदद से यह वर्ग सशक्त होते गए।

🏛️ स्मृति स्थल रेशमबाग:
1939 के बाद से संघ शिक्षा वर्ग हेडगेवार स्मृति मंदिर, रेशमबाग, नागपुर में नियमित रूप से आयोजित होते हैं। यह भूमि डॉ. हेडगेवार ने मात्र ₹700 में खरीदी थी।
🕘 कार्यक्रम की दिनचर्या:
प्रातः 5 बजे से रात्रि 9 बजे तक शारीरिक एवं बौद्धिक प्रशिक्षण, चर्चा, अभ्यास, भाषण और वार्तालाप चलता है। दोपहर का समय विचारमंथन व समीक्षा के लिए होता है।

🌍 विस्तार की यात्रा:
1934 में पुणे में वर्ग आरंभ हुए, फिर नासिक, लाहौर और पूरे भारत में फैलते गए। आज नागपुर में तृतीय वर्ष (अब कार्यकर्ता विकास वर्ग-2) अनिवार्य है।
🚫 बाधाएँ भी आईं:
1948-49 (संघ प्रतिबंध), 1976-77 (आपातकाल), 1991 (चुनाव व विशेष परिस्थितियाँ), 1993 और 2020-21 (कोविड महामारी) के दौरान वर्ग स्थगित रहे।
📊 वर्षों अनुसार आंकड़े (संख्यात्मक रूप में):
वर्षप्रथम वर्षद्वितीय वर्षतृतीय वर्ष/कार्यकर्ता विकास वर्ग-

📅 नया प्रारूप 2024 से:
- प्रारंभिक वर्ग – 3 दिन
- प्राथमिक शिक्षा वर्ग – 7 दिन
- संघ शिक्षा वर्ग – 15 दिन
- कार्यकर्ता विकास वर्ग-1 (पूर्व द्वितीय वर्ष) – 20 दिन
- कार्यकर्ता विकास वर्ग-2 (पूर्व तृतीय वर्ष) – 25 दिन
👤 प्रमुख अतिथि (तृतीय वर्ष/कार्यकर्ता विकास वर्ग-2):

- 2012: अश्वनी कुमार (पंजाब केसरी)
- 2014: श्री श्री रविशंकर (आर्ट ऑफ लिविंग)
- 2018: प्रणब मुखर्जी (पूर्व राष्ट्रपति)
- 2023: काडसिद्धेश्वर स्वामी (कोल्हापुर)
- 2025: श्री अरविंद नेताम (पूर्व केन्द्रीय मंत्री)
🎯 वर्ग की विशेषताएं:
- सामाजिक समरसता: सभी जाति, भाषा, क्षेत्र से ऊपर उठकर एक भाव।
- सामूहिक जीवन: साथ खाना-पीना, रहना, अनुशासन।
- राष्ट्र दृष्टि: अखिल भारतीय सोच का निर्माण।
- कार्यकुशलता व नेतृत्व विकास।
- संघ के कार्य की व्यापक समझ।
- स्वावलंबन और संगठन भाव का निर्माण।
🗣️ सरसंघचालक का दृष्टिकोण:
“हम विश्व विजेता नहीं, जोड़ने वाले बनना चाहते हैं। भारत का भी यही कार्य रहा है।” – मोहनराव भागवत (2022)
“इन वर्गों में 90% स्वयंसेवक 20-25 आयु समूह के होते हैं।” – मोहनराव भागवत (2012)
🔚 निष्कर्ष:
संघ शिक्षा वर्ग केवल प्रशिक्षण नहीं, एक समग्र जीवन दृष्टि प्रदान करता है – अनुशासन, आत्मनिर्भरता, सेवा और राष्ट्रप्रेम की भावना से ओतप्रोत। यह वर्ग भारत के उज्ज्वल भविष्य की नींव को मजबूत करने वाले उन हजारों स्वयंसेवकों की पाठशाला है, जो देश के कोने-कोने में सेवा, संगठन और संस्कार का अलख जगाए हुए हैं।
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