राजस्थान में भारतीय ज्ञान परंपरा: आत्मनिर्भर छात्र, विद्यालय और व्यवस्था का शंखनाद
राजस्थान में भारतीय ज्ञान परंपरा: आत्मनिर्भर छात्र, विद्यालय और व्यवस्था का शंखनाद 1. प्रस्तावना: जड़ों की ओर वापसी, भविष्य की ओर दृष्टि राजस्थान की मरुधरा केवल अरावली की पर्वतमालाओं और रेतीले धोरों की भूमि नहीं है, बल्कि यह वह पुण्य धरा है जहाँ 'विद्या' को जीवन का आधार माना गया। प्राचीन काल में यहाँ के गुरुकुलों ने ऐसे व्यक्तित्व गढ़े जिन्होंने दुनिया को शून्य से लेकर खगोल विज्ञान तक का ज्ञान दिया। आज जब हम 'विकसित भारत @2047' की बात करते हैं, तो उसकी पहली सीढ़ी राजस्थान की स्कूली शिक्षा में भारतीय ज्ञान परंपरा (IKP) की पुनर्स्थापना है। भारतीय ज्ञान परंपरा कोई संकुचित विचारधारा नहीं, बल्कि सत्य, तर्क और अनुभव की वह संचित निधि है जो छात्र को 'आत्मनिर्भर' बनाती है। 2. भारतीय ज्ञान परंपरा (IKS) का मर्म और राजस्थान IKP का मूल सिद्धांत है—"समग्रता"। यहाँ ज्ञान खंडों में नहीं है। राजस्थान के संदर्भ में देखें तो यहाँ की स्थापत्य कला में गणित है, लोक गीतों में इतिहास है और सामाजिक रीति-रिवाजों में पर्यावरण विज्ञान है। जब एक छात्र अपनी संस्कृति को विज...