मुर्शिदाबाद की हिंसा और कांग्रेस का तुष्टीकरण: एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

 

फोटो साभार गूगल


तुष्टीकरण की आग में झुलसता भारत: मुर्शिदाबाद की हिंसा और कांग्रेस की विरासत

लेखक: मनमोहन पुरोहित (मनु महाराज)
तारीख: 8 अप्रैल 2025
श्रेणी: राजनीति, समाज, राष्ट्रीय सुरक्षा


मुर्शिदाबाद की सड़कों पर फैली अराजकता

3 अप्रैल को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन का दावा उस समय खोखला साबित हो गया, जब बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों की भीड़ ने पुलिस पर हमला कर दिया। सड़कें जाम की गईं, वाहनों में आग लगाई गई, पत्थरबाज़ी की गई, और एक पुलिस वाहन को आग के हवाले कर दिया गया।

पुलिस की विवशता और प्रशासन की चुप्पी ने साफ कर दिया कि यह केवल स्वतःस्फूर्त विरोध नहीं था — यह तुष्टीकरण की राजनीति का खुला प्रदर्शन था।



तुष्टीकरण की ऐतिहासिक जड़ें: कांग्रेस की भूमिका

मुर्शिदाबाद की यह घटना कोई अपवाद नहीं, बल्कि उस ऐतिहासिक परंपरा का हिस्सा है जिसे भारत में "तुष्टीकरण की राजनीति" कहा जाता है। कांग्रेस पार्टी ने दशकों से इस नीति का पालन कर देश की धर्मनिरपेक्षता को चोट पहुंचाई है। आइए देखें इसके कुछ प्रमुख उदाहरण:

1. शाह बानो केस (1985): न्याय का बलिदान

राजीव गांधी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय को पलटते हुए मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति को न्याय से ऊपर रखा। इससे करोड़ों महिलाओं के अधिकारों की उपेक्षा हुई।

2. हज सब्सिडी: एकतरफा कृपा

1959 से शुरू हज सब्सिडी ने धार्मिक यात्रा पर सरकारी खर्च की परंपरा डाली, जो संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के विरुद्ध है।

3. बांग्लादेशी घुसपैठियों को संरक्षण

कांग्रेस सरकारों ने अवैध प्रवासियों को नागरिकता व सुविधाएं देकर अपने वोट बैंक को मजबूत किया, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा व जनसंख्या संतुलन प्रभावित हुआ।



1947 का धोखा और आज का परिदृश्य

विभाजन के बाद भी पाकिस्तान समर्थक जमातों को भारत में विशेषाधिकार दिए गए। आज वही मानसिकता बंगाल में दोहराई जा रही है।

 क्या अब भी देर नहीं हुई?

मुर्शिदाबाद की हिंसा उस आग का संकेत है जिसे तुष्टीकरण की राजनीति ने हवा दी है। अब समय है कि भारत ऐसी राजनीति को नकारे जो न्याय, समानता और सत्य को दरकिनार कर देश को दांव पर लगाती है।


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