कर्नाटक हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: RSS शाखाओं पर बैन हटने से संवैधानिक अधिकारों की जीत!
नमस्ते! मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का एक स्वयंसेवक हूँ, और आज मैं बेहद राहत और संतोष महसूस कर रहा हूँ।
पिछले कुछ दिनों से हम सब एक अजीब से असमंजस और चिंता में थे। कर्नाटक सरकार ने एक ऐसा आदेश जारी किया, जिसने सीधे तौर पर हमारे संवैधानिक अधिकारों पर प्रहार करने की कोशिश की। हमारी हर दिन लगने वाली शाखा, जहाँ हम देश और समाज की भलाई के लिए एकजुट होते हैं, जहाँ हम शांतिपूर्ण तरीके से शारीरिक और बौद्धिक अभ्यास करते हैं, उस पर रोक लगाने का प्रयास किया गया।
क्या देश में 10 से अधिक लोगों का शांतिपूर्ण तरीके से एक जगह इकट्ठा होना भी अब 'अपराध' हो गया है? क्या सार्वजनिक स्थानों, पार्कों और मैदानों पर देश-सेवा की बात करना, खेल खेलना और साथ मिलकर बैठना प्रतिबंधित हो सकता है?
यह सुनकर गहरा दुख हुआ कि कुछ राजनीतिक हित साधने के लिए हमारी वर्षों पुरानी, नितांत शांतिपूर्ण गतिविधियों को निशाना बनाया गया। हमारी आरएसएस शाखाएँ कोई राजनीतिक अखाड़ा नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की पाठशालाएँ हैं। हम हमेशा से ही कानून का सम्मान करते आए हैं और अपनी गतिविधियाँ पूरी तरह से शांतिपूर्ण तरीके से आयोजित करते हैं।
🏛️ संविधान की सर्वोच्चता: हाईकोर्ट ने छीनने से रोका 'शांतिपूर्ण सभा' का अधिकार
लेकिन आज, माननीय कर्नाटक उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश ने हमें बड़ी राहत दी है और देश के हर नागरिक के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है।
जस्टिस एम नागाप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगाते हुए जो सवाल उठाया, वह हर देशवासी को सुनना चाहिए:
> "संविधान प्रदत्त अधिकारों को छीनने का अधिकार सरकार को किसने दिया?"
>
कर्नाटक हाईकोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19(1)(A) (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और 19(1)(B) (शांतिपूर्ण सभा करने का अधिकार) हमें प्राप्त हैं, और सरकार इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
यह आदेश सिर्फ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के लिए राहत नहीं है, बल्कि यह भारत के संविधान की सर्वोच्चता की जीत है। यह इस बात का प्रमाण है कि हमारा संविधान हर नागरिक के मूल अधिकारों की रक्षा करने में सक्षम है।
🇮🇳 RSS स्वयंसेवक की अपील: राष्ट्र निर्माण का कार्य जारी रहेगा!
हम स्वयंसेवकों का संकल्प हमेशा अटल रहा है। RSS शाखाओं पर बैन लगाने की यह कोशिश राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित थी। हम जानते हैं कि विरोधी ताकतें संघ के बढ़ते प्रभाव और राष्ट्र-प्रेम की भावना को देखकर चिंतित हैं। लेकिन उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि हम किसी के इशारे पर अपनी देश सेवा की गतिविधियों को बंद नहीं करेंगे।
आज इस अंतरिम आदेश के बाद, मैं हर स्वयंसेवक से अपील करता हूँ कि हम और भी अधिक उत्साह और संकल्प के साथ अपनी शाखाओं को जारी रखें। संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायपालिका का धन्यवाद!
जय हिंद! जय संविधान!
आपका एक स्वयंसेवक
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