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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रथम पग-
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आज भारत के हिन्दू युवक परम्परा और संस्कृति का तिरस्कार करते नजर आते है। जब हम भारत को विश्व गुरु कहते हैं तो यह भी विचार करें कि
वह व्यक्ति किस प्रकार दूसरों को महानता का मार्ग दिखा सकता है, जिसमें अपने निजी जीवन को उन्नत बनाने की लगन अथवा योग्यता का आभाव है?
यह अनिवार्य है कि मानव जाति को अपना अद्वितीय ज्ञान प्रदान करने की योग्यता -संपादन करने के लिए तथा संसार की एकता और कल्याण हेतु जीवित रहने एवं उद्योग करने के लिए हमें संसार के समक्ष आत्मविश्वास, पुनरुत्थानशील और सामर्थ्यशाली राष्ट्र के रूप में खड़ा होना पड़ेगा।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इस युग युगान्तर से चले आए राष्ट्रीय लक्ष्य को पूर्ण करने का संकल्प लिया है, जिसके प्रथम पग के रूप में इस समय हिन्दू समाज के बिखरे हुए तत्वों को संगठित कर अजेय शक्ति निर्माण करेगा।
                               (विचार नवनीत)

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