"कृषि क्रांति की नई उड़ान: बीज से बाजार तक किसानों के साथ भारत सरकार"

 



इस ब्लॉग में जानिए कैसे भारत सरकार ने बीज से लेकर बाजार तक किसानों का साथ निभाकर भारतीय कृषि को आत्मनिर्भर, टिकाऊ और समृद्ध बनाया। MSP, DBT, KCC और तकनीकी नवाचारों से कैसे बदली अन्नदाताओं की तकदीर।



प्रस्तावना: बदलते भारत की कृषि यात्रा

कृषि, भारत की आत्मा है। यही वह क्षेत्र है जो न केवल करोड़ों लोगों को आजीविका देता है, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण विकास का मजबूत आधार भी है। ऐसे में यदि भारत को वैश्विक शक्ति बनाना है, तो अन्नदाता का सशक्त होना आवश्यक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने बीते एक दशक में किसानों के कल्याण के लिए कई ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। इन प्रयासों ने भारत को बीज से लेकर बाजार तक एक नई कृषि-व्यवस्था की ओर अग्रसर किया है।


1. न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में ऐतिहासिक बढ़ोतरी

पहले MSP केवल घोषणा तक सीमित थी, परंतु अब यह किसान की आय वृद्धि का वास्तविक साधन बन गया है। मोदी सरकार की नीति स्पष्ट है—हर फसल पर उसकी लागत से कम से कम 50% अधिक समर्थन मूल्य देना।

  • खरीफ और रबी की प्रमुख फसलों के MSP में 1.8 से 3.3 गुना तक की वृद्धि।

  • 2014-25 की अवधि में फसलों की खरीद और भुगतान, दोनों में रिकॉर्ड वृद्धि।

  • MSP के लाभ सीधे किसानों के खातों में DBT के माध्यम से पारदर्शिता के साथ।


2. प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) से किसानों को मिला भरोसा

सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि योजनाओं का लाभ बिचौलियों को नहीं, बल्कि सीधे किसानों को मिले।

  • MSP का भुगतान सीधे बैंक खातों में।

  • फसल बीमा, अनुदान, और सब्सिडी का त्वरित और पारदर्शी वितरण।

  • किसान अब निश्चिंत होकर खेती कर रहा है, क्योंकि उसे भुगतान की निश्चितता है।


3. मृदा से मंडी तक: व्यापक समर्थन ढांचा

मृदा स्वास्थ्य कार्ड:

  • मिट्टी की गुणवत्ता के अनुसार फसल चयन और उर्वरक उपयोग में मदद।

  • अब तक करोड़ों किसानों को मिल चुका है लाभ।

ई-नाम (e-NAM):

  • डिजिटल मंडियों से सीधा जुड़ाव।

  • पारंपरिक मंडियों की सीमाओं से बाहर निकलकर राष्ट्रीय बाजार तक पहुंच।

ड्रोन और स्मार्ट सिंचाई तकनीक:

  • लागत में कमी, उत्पादन में वृद्धि।

  • कृषि को आधुनिक, टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल बनाना।


4. किसान क्रेडिट कार्ड (KCC): सस्ता और सुलभ ऋण

  • अब तक 7.75 करोड़ से अधिक KCC खाते।

  • 3 लाख तक का अल्पकालिक कृषि ऋण 7% वार्षिक ब्याज दर पर उपलब्ध।

  • समय पर चुकौती पर 3% ब्याज छूट—प्रभावी दर मात्र 4%।

  • इससे किसानों को साहूकारों से मुक्ति और आत्मनिर्भरता मिली।


5. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: जोखिम से राहत

  • प्राकृतिक आपदाओं से फसल क्षति पर बीमा सुरक्षा।

  • लाखों किसानों को अब तक करोड़ों रुपए की सहायता।

  • कृषि को जोखिमपूर्ण पेशे से सुरक्षित उद्यम में बदला।


6. प्रधानमंत्री अत्रदाता आय संरक्षण अभियान

किसानों की आय की स्थिरता सुनिश्चित करने हेतु मूल्य आधारित संरक्षण योजनाएं लागू की गईं:

  • मूल्य समर्थन योजना (PSS)

  • मूल्य न्यूनता भुगतान योजना (PDPS)

  • बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS)

  • मूल्य स्थिरीकरण निधि (PSF)

इन योजनाओं के तहत दलहन, तिलहन और कोपरा की एमएसपी पर सीधी खरीद की जाती है।

  • 2024-25 में

    • सोयाबीन की 19.97 लाख मीट्रिक टन खरीद

    • मूंगफली की 17.73 लाख मीट्रिक टन खरीद—इतिहास में सर्वाधिक।


7. नवाचार और प्राकृतिक खेती की ओर

  • प्राकृतिक खेती को बढ़ावा

  • कृषि यंत्रों पर सब्सिडी

  • फसल विविधीकरण का प्रोत्साहन

  • टिकाऊ और पर्यावरण-संवेदी कृषि पद्धतियों का विस्तार


8. डिजिटल कृषि की दिशा में कदम

  • किसान पोर्टल, मोबाइल ऐप्स और कृषि सूचनाओं की ऑनलाइन उपलब्धता

  • मौसम, बाजार भाव और बीज चयन की डिजिटल जानकारी

  • युवाओं के लिए कृषि-स्टार्टअप्स और एग्रीटेक में नई संभावनाएं


निष्कर्ष: समृद्ध किसान, सशक्त भारत

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार की स्पष्ट नीति, तकनीकी नवाचार और किसान केंद्रित योजनाओं ने देश में एक नई हरित क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया है। आज का किसान सिर्फ उपजाने वाला नहीं, बल्कि योजना बनाने वाला, तकनीकी उपयोग करने वाला और वैश्विक बाजार की ओर देखने वाला जागरूक उद्यमी बन रहा है।

बीज से बाजार तक केंद्र सरकार की भागीदारी ने साबित कर दिया है—जब अन्नदाता सशक्त होता है, तभी राष्ट्र समृद्ध होता है।


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

नियति के क्रूर प्रहार के बीच मानवता की एक छोटी सी कोशिश

16 दिसंबर 1971: भारत का विजय दिवस कैसे तेरह दिन में टूट गया पाकिस्तान

संगम के जल पर भ्रम और वैज्ञानिक सच्चाई