क्रिसमस और न्यू ईयर पर पटाखे चलाने की छूट, भारतीय त्यौहारों पर प्रतिबंध !






दिवाली से ठीक पहले कांग्रेस शासित सरकारों की तरह दिल्ली सरकार ने दिल्ली को प्रदूषण से बचाने के लिए 9 नवंबर से 30 नवंबर तक पटाखे पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिये थे। सेकुलर राजनेताओं की तरह गुलाम मानसिकता के पत्रकार, साहित्यकार भी होली, दिवाली जैसे भारतीय त्यौहारों पर पानी बचाओ, भविष्य बचाओ! प्रदुषण मुक्त भारत! जैसे कोटेशनों के बहाने अपनी दुषित बौद्धिक क्षमता का बखान करते रहते हैं। लेकिन बकरीद पर लाखों बकरों के कटने से नदियों का रंग लाल हो जाने, मुस्लिम बस्तियों में सडांध से पैदा हो रहे विषाणुओं/बिमारियों, अजान के दौरान मस्जिदों पर लाउड स्पीकर के इस्‍तेमाल से होने वाले ध्‍वनि प्रदूषण पर न्यायालयों के निर्णयों की लगातार उपेक्षा, क्रिसमस पर हजारों पेड़ काट दिये जाने से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रतिकुल प्रभाव पर भारतीय सभ्यता/संस्कृति से घृणा करने वाली अवार्ड वापसी गैंग व एकमुश्त मुस्लिम वोटों के भूखे भेड़िये मौन धारण कर लेते हैं! कोर्ट में याचिका डालकर होली, दिवाली और दही हांडी जैसे भारतीय त्यौहारों पर अपनी खीझ निकालने वाले ईद, मुहर्रम और  क्रिसमस पर एक शब्द नहीं बोलते! पटाखों पर बैन का विरोध करते हुए त्रिपुरा के राज्यपाल को यहाँ तक कहना पड़ा, कि प्रदूषण के नाम पर कहीं अंतिम संस्कार में शव जलाने पर भी रोक न लगा दी जाए।
कांग्रेस शासन में मिसनरी स्कूलों में बच्चों को पटाखों के चलते पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव के प्रति जागरूक करने की शुरुआत धीरे-धीरे पब्लिक स्कूलों से होते हुए शहरी वर्ग में भारतीय त्योहारों के प्रति तिरस्कार का भाव पैदा कर रही हैं। प्रदूषण बचाने की भारतीय समाज को हिदायतें देने वाला वर्ग क्रिसमस और अंग्रेजों के नए वर्ष पर होने वाले फुहड़पन, अश्लील कुकृत्यों, मदिरापान पर एक शब्द नहीं बोलते

-गंगा सिंह राजपुरोहित

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