संघ कुछ नहीं करेगा, स्वयंसेवक कुछ न छोड़ेगा
संघ कुछ नहीं करेगा, स्वयंसेवक कुछ न छोड़ेगा
गाहे बगाहे हर स्वयंसेवक एक वाक्य को बोलता सुनता है वह यह कि संघ कुछ नहीं करेगा, स्वयंसेवक कुछ न छोड़ेगा। वास्तव में क्या है यह? इसके पीछे कौनसा विचार काम करता है? वास्तव में यह कथन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की कार्यशैली और उसके मूल सिद्धांतों को सारगर्भित रूप से व्यक्त करता है। इसे ऐसे समझें कि संघ एक संगठन के रूप में प्रत्यक्ष रूप से किसी कार्य का नेतृत्व नहीं करता, बल्कि अपने स्वयंसेवकों के माध्यम से समाज के हर क्षेत्र में परिवर्तन लाने की प्रेरणा देता है। यानी कि यह विचार संघ की "संगठन के माध्यम से व्यक्ति निर्माण" की अवधारणा पर पूरा पूरा आधारित है।
संघ का कार्य: संगठन निर्माण और प्रेरणा देना
जैसा कि हम सब जानते है RSS की स्थापना 1925 में डॉक्टर हेडगेवार ने की थी। इसके साथ ही उन्होंने के संघ के माध्यम से व्यक्ति निर्माण को प्राथमिकता दी। संघ स्वयं सामाजिक कार्यों में प्रत्यक्ष रूप से भाग नहीं लेता, बल्कि अपने स्वयंसेवकों को प्रेरित करता है कि वे समाज की सेवा करें।
इस सिद्धांत के आधार पर स्वयंसेवक शिक्षा, स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन, ग्रामीण विकास, और सांस्कृतिक जागृति जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। संघ का उद्देश्य है कि हर स्वयंसेवक समाज का सजग और उत्तरदायी नागरिक बने।
उदाहरण: स्वयंसेवकों की भूमिका
1. आपदा प्रबंधन में योगदान
जब भी देश में प्राकृतिक आपदाएं आती हैं, संघ के स्वयंसेवक सबसे पहले राहत कार्यों में जुटते हैं।
उत्तराखंड आपदा (2013): संघ के स्वयंसेवकों ने राहत शिविरों का संचालन किया, पीड़ितों तक भोजन और दवाएं पहुंचाई।
केरल बाढ़ (2018): स्वयंसेवकों ने नाव चलाने से लेकर राहत सामग्री वितरित करने तक हर मोर्चे पर कार्य किया।
2. कोविड-19 महामारी में सेवा कार्य
कोविड के समय संघ ने "संघ कुछ नहीं करेगा" के सिद्धांत पर चलते हुए स्वयंसेवकों को प्रेरित किया।
60 लाख से अधिक स्वयंसेवकों ने मास्क, सैनिटाइजर, और राशन वितरित किया।
वैक्सीनेशन जागरूकता अभियान चलाया और टीकाकरण शिविरों का आयोजन किया।
शवदाह और मरीजों की देखभाल में सहयोग किया।
3. शिक्षा और सामाजिक सुधार
संघ ने शिक्षा को सामाजिक सुधार का माध्यम बनाया।
एकल विद्यालय: वनवासी क्षेत्रों में स्वयंसेवकों द्वारा हजारों विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं।
विद्या भारती: स्वयंसेवकों के प्रयास से देशभर में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का प्रचार-प्रसार हुआ।
4. ग्राम विकास
संघ के प्रेरणा से हजारों स्वयंसेवक ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता, जल संरक्षण, और रोजगार सृजन के लिए कार्य कर रहे हैं।
महाराष्ट्र के कई गांवों में जल संरक्षण परियोजनाओं के माध्यम से सूखे से निपटा गया।
संघ के प्रयासों से कई गांव आत्मनिर्भर बन चुके हैं।
5. सामाजिक समरसता
संघ ने समाज में समरसता लाने के लिए स्वयंसेवकों को प्रेरित किया।
स्वच्छता अभियानों से लेकर मंदिर प्रवेश आंदोलनों तक में संघ की प्रेरणा से स्वयंसेवकों ने समाज के हर वर्ग को एकजुट किया।
नियमित शाखाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से जाति-पांति के भेद को मिटाने का प्रयास किया।
संघ का दृष्टिकोण: "व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण"
संघ मानता है कि संगठित और प्रेरित व्यक्ति ही राष्ट्र के सशक्त निर्माण का आधार हैं। "संघ कुछ नहीं करेगा" का अर्थ है कि संघ स्वयं किसी कार्य का प्रत्यक्ष संचालन नहीं करेगा, बल्कि स्वयंसेवकों को तैयार करेगा जो समाज में हर समस्या का समाधान ढूंढेंगे।
संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार ने कहा था, "हम देश के लिए हजारों कर्तव्यनिष्ठ कार्यकर्ता तैयार करेंगे।"
संघ का यह दृष्टिकोण आज हर क्षेत्र में दिखता है, जहां स्वयंसेवक बिना प्रचार के समाज के हर स्तर पर योगदान दे रहे हैं।
"संघ कुछ नहीं करेगा, स्वयंसेवक कुछ न छोड़ेगा" केवल एक कथन नहीं, बल्कि संघ की कार्यशैली का दर्शन है। यह समाज में जिम्मेदारी और नेतृत्व के विकास की प्रक्रिया है। जब हर स्वयंसेवक समाज की समस्याओं को अपना कर्तव्य समझकर हल करने में जुटेगा, तो राष्ट्र स्वतः ही प्रगति करेगा। यही संघ का उद्देश्य है और यही उसकी सफलता का आधार।
व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण ही संकल्प हमारा
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